रफ़्तार
हेमंत कुमार मेहराचरखे को धीरे धीरे से
हौले से चलाया जाता है,
सूत कातने के लिए,
तुमको समझाया था मैंने,
कई दफ़ा, मगर
मगर तुम थी नहीं मानी,
तेज़ रफ़्तार से धागा नहीं बुना जाता॥
चरखे को धीरे धीरे से
हौले से चलाया जाता है,
सूत कातने के लिए,
तुमको समझाया था मैंने,
कई दफ़ा, मगर
मगर तुम थी नहीं मानी,
तेज़ रफ़्तार से धागा नहीं बुना जाता॥