राह ख़ुदा की पाई है

15-03-2015

राह ख़ुदा की पाई है

दिलबाग विर्क

राह ख़ुदा की पाई है
जिसने प्रीत निभाई है।

ऊँचाई देती है वो
भीतर जो गहराई है।

जब से मैंने इश्क़ किया
मुझ पर मस्ती छाई है।

है प्यार बड़ा ताकतवर
चाहे लफ़्ज़ अढ़ाई है।

सीने से लगकर यारो
भर देना जो खाई है।

भीड़ रहे इस धरती पर
चोटी पर तन्हाई है।

निकली है मेरे दिल से
'विर्क' ग़ज़ल जो गाई है।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें