प्यार की तान जब लगाई है
नीरज गोस्वामीप्यार की तान जब लगाई है
भैरवी हर किसी ने गाई है
लाख चाहो मगर नहीं छुपता
इश्क़ में बस यही बुराई है
ख़्वाब देखा है रात में तेरा
नींद में भी हुई कमाई है
बांध रख्खा है याद ने तेरी
आप से कब मिली रिहाई है
जीत का मोल जानिये उससे
हार जिसके नसीब आई है
चाहतें मेमने सी भोली हैं
पर ज़माना बड़ा कसाई है
साथ जबतक चले लगे अपनी
साँस होती मगर पराई है
आस छोड़ो नहीं कभी 'नीरज'
दर्दे दिल की यही दवाई है
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