परख

डॉ. पूनम तूषामड़ (अंक: 166, अक्टूबर प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

सभ्यताएँ मिटती नहीं
मिटाई जाती हैं।
इतिहास मिटता नहीं
मिटाता जाता है।
जनता डरती नहीं डराई
जाती है।
गोली चलती नहीं चलाई
जाती है।
जागो!और पहचानो
वो कौन है?
जो सब कुछ जानकर
भी मौन है।

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