पा रहा दिल यहाँ साथ भरपूर है

15-03-2015

पा रहा दिल यहाँ साथ भरपूर है

दिलबाग विर्क

पा रहा दिल यहाँ साथ भरपूर है
प्यार में आँख को अश्क मंजूर है।

इश्क़ में डूबकर जान पाया यही
हर तरफ छा रहा एक ही नूर है।

दूरियाँ और नज़दीकियाँ झूठ सब
पास पाऊँ तुझे, तू भले दूर है।

रात-दिन काम के फ़िक्र में घूमता
आदमी तो महज एक मज़दूर है।

थूकता था ज़माना जिसे देखकर
देख लो शख़्स वो आज मशहूर है।

सीरतें सूरतों से सदा बेहतर
हुस्न यूँ ही नशे में हुआ चूर है।

हाथ से हाथ पर्दा रखे है यहाँ
ये नए दौर का 'विर्क' दस्तूर है।

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