हर जगह अनुपस्थित

01-04-2015

हर जगह अनुपस्थित

सुधेश

आप बाज़ार में हैं 
बाज़ार क्या फ़लाँ माल में हैं 
मैं वहाँ नहीं।

आप टीवी पर हैं। 
रेडियो में हैं 
बड़ी पत्रिकाओं में हैं 
मैं वहाँ सिरे से अनुपस्थित।
आप हर पुरस्कार में हैं 
कहीं उसे लेते 
कहीं उसे देते 
उस से पहचाने गये कवि रूप में 
या अन्य रूप विरूप में 
मैं वहाँ भी किसी क़तार में नहीं।
तो फिर मैं कहाँ हूँ 
घर में हूँ आजकल 
घर में बिस्तर पर हूँ रोगों से लड़ता 
कल कहाँ हूँगा कह नहीं सकता 
शायद हस्पताल में 
अथवा श्मशान में 
राख होने के लिए।

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