गर तू मुझसे बेख़बर आबाद है
बलजीत सिंह 'बेनाम'गर तू मुझसे बेख़बर आबाद है
बिन तेरे मेरा भी घर आबाद है
बेबसी की इंतहा समझो इसे
इक शज़र तन्हा अगर आबाद है
ज़ुल्म कर ज़ालिम सभी से पूछता
कौन है आख़िर किधर आबाद है
हाँ ख़ुदा से डरने वालों का फ़क़त
दिल शगुफ़्ता है नज़र आबाद है
कल तलक़ आँखों में फिरते रतजगे
आज से हर इक सहर आबाद है
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