फ़ैसला कैसे करेगा वो
बलजीत सिंह 'बेनाम'फ़ैसला कैसे करेगा वो मेरी तक़दीर का
ख़ुद ही जो क़ैदी हुआ है वक़्त की ज़ंजीर का
ज़िंदगी तक़सीम जिससे हो गई दो भाग में
एक हिस्सा पास तेरे है उसी तस्वीर का
फिर नए रस्ते की जानिब चल पड़ेंगे हम मगर
लफ़्ज़ कोई खोज लाए मिट चुकी तहरीर का
कितनी अच्छी चीज़ हो घर पर पड़ी रह जाएगी
क़ायदा आया नहीं गर चीज़ की तशहीर का
तुम ख़ुशी से जी रहे हो इसमें है मेरी ख़ुशी
क्या करोगे ये बताओ दर्द की जागीर का
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