एक जिज्ञासा
सुधेशमैं अपने दु:ख से पीड़ित
तुम अपने सुख में आनन्दित
मेरा दु:ख बिन बुलाये अतिथि सा
दो चार दिनों बाद चला जाएगा
एक बात पूछूँ
तुम्हारा सुख कब तक रुकेगा।
मैं अपने दु:ख से पीड़ित
तुम अपने सुख में आनन्दित
मेरा दु:ख बिन बुलाये अतिथि सा
दो चार दिनों बाद चला जाएगा
एक बात पूछूँ
तुम्हारा सुख कब तक रुकेगा।