एक जिज्ञासा

01-01-2016

एक जिज्ञासा

सुधेश

मैं अपने दु:ख से पीड़ित 
तुम अपने सुख में आनन्दित
मेरा दु:ख बिन बुलाये अतिथि सा 
दो चार दिनों बाद चला जाएगा 
एक बात पूछूँ 
तुम्हारा सुख कब तक रुकेगा।

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