दु:ख

सुधेश

दु:ख सब को माँझता है 
पर उन का क्या 
जो दु:ख को ही 
काली कमाई से माँझ कर 
सुख की मरीचिका में बदल 
पूछते हैं दु:ख कहाँ है 
वह मन का भ्रम है 
भक्ति का पर्याय 
भक्ति का बीज है।
पर उन का क्या होगा जो 
दु:ख की पहाड़ियों में दबे 
मौत माँगते हैं।

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