देख ये पर्यावरण मर रहा है

01-04-2020

देख ये पर्यावरण मर रहा है

नीलेश मालवीय ’नीलकंठ’ (अंक: 153, अप्रैल प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

मत काट ये झाड़ पेड़ 
उन्होंने तेरा क्या बिगाड़ा है
तेरे जन्म से तेरे अंत तक
बस उनका ही सहारा है
तुझे साँसें देने वाला वो
अंतिम साँसें भर रहा है
अब तो रुक जा मानव
देख ये पर्यावरण मर रहा है


कल कल करती नदिया को 
क्यों अपनी माता कहता है
मत भूल उन्हीं के जल से 
तू इस जग में ज़िंदा रहता है
उनको गंदा करके क्यों तू
अमृत को विष कर रहा है
अब तो रुक जा मानव
देख ये पर्यावरण मर रहा है


ये मिट्टी सोना तो देती है
तू फिर भी लालच करता है
उत्पाद बढ़ाने के चक्कर में
तू उसमें रसायन भरता है
यूँ दवा डाल डालकर बस 
तू उसको बंजर कर रहा है
अब तो रुक जा मानव
देख ये पर्यावरण मर रहा है

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