बे सबब जो सफ़ाई देता है

15-11-2008

बे सबब जो सफ़ाई देता है

नीरज गोस्वामी

बे सबब जो सफ़ाई देता है
दोष उसमें दिखाई देता है

वो जकड़ता नहीं है बंधन में
प्यार सच्चा रिहाई देता है

आँखों आँखों में बात हो जब भी
अनकहा भी सुनाई देता है

यार बहरे बसे जहाँ सारे
क्यूँ वहाँ तू दुहाई देता है

बिन भरोसे अगर किया जाये
प्यार दिल को खटाई देता है

तुम जो ये कहकहे लगाते हो
राज़ गहरा दिखाई देता है

गालियाँ खा के मुस्कुरा नीरज
कौन किसको बधाई देता है

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