बे सबब जो सफ़ाई देता है
नीरज गोस्वामीबे सबब जो सफ़ाई देता है
दोष उसमें दिखाई देता है
वो जकड़ता नहीं है बंधन में
प्यार सच्चा रिहाई देता है
आँखों आँखों में बात हो जब भी
अनकहा भी सुनाई देता है
यार बहरे बसे जहाँ सारे
क्यूँ वहाँ तू दुहाई देता है
बिन भरोसे अगर किया जाये
प्यार दिल को खटाई देता है
तुम जो ये कहकहे लगाते हो
राज़ गहरा दिखाई देता है
गालियाँ खा के मुस्कुरा नीरज
कौन किसको बधाई देता है
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