एयर होस्टेस

15-10-2019

एयर होस्टेस

डॉ. मनोज कुमार

सुनने में बहुत अच्छा
देखने में सुंदर
पर जीवन उतना ही कठिन
प्लेन के अंदर घूरती हुई निगाहें
देखती हैं उनको
कुछ मुस्कुराते और कुछ ख़्वाब सजाते
इन सबसे बच कर अपनी कुशलता से
सबको गंतव्य स्थान तक छोड़
फिर चल पड़तीं अगली उड़ान के लिए
ये एयर होस्टेस


कभी संघर्ष तो कभी सिस्टम की शिकार
कभी सवारियों से दुखी हो तो
मुस्कुरा देतीं
पर चेहरे पर थोड़ी भी शिकन नहीं
करतीं रहतीं अपना काम
कभी व्यंजन परोसतीं तो कभी
कूड़े को सहेजतीं


आज कल कुछ प्लेन में
इलेक्ट्रोनिक समान के साथ
लगातीं प्लेन में बाज़ार
अपनी प्रोफ़ाइल से हट
करतीं ये काम
देतीं अंजाम
सब देख कर लगता है
पापी पेट है जो न कराये
सुबह से शाम, शाम से रात


आँखों में थकावट पर चेहरे पर मुस्कान
लेकिन मुस्कान के पीछे का हाहाकार
पढ़ता कौन?
लाल ओंठों के पीछे
टूटते हुये सपनों की व्यथा सुनता कौन?


सबको करना चाहिए इनका सम्मान
ये हैं हमारे ही समाज की बेटियाँ
जो छू रही है आसमान
है मेरा सलाम उन्हें  
हर बार... 
हर बार...!

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें