डॉ. हेतु भारद्वाज
आरम्भिक जीवन:
जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव रामनेर में हुआ था। गाँव के पिछड़ेपन और विपन्नता के प्रति बचपन से ही उन्हें बहुत वेदना रही, शायद इसीलिए वे संवेदना के स्तर पर ग्रामीण जीवन से गहराई से जुड़े रहे हैं। उनका कार्यक्षेत्र राजस्थान रहा है।
शिक्षा: राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से उन्होंने हिन्दी में एम.ए., पीएच.डी. की।
लेखन एवं सम्पादन: उनकी रचना यात्रा 1960 से आरम्भ हुई जो अभी भी जारी है। 1995 में राजस्थान कॉलेज शिक्षा सेवा से निवृत्त होने के बाद ये लेखन के स्तर पर सक्रिय हैं तथा 2000 से 2006 तक ” समय माजरा” मासिक का नियमित सम्पादन किया है। राजस्थान साहित्य अकादमी से जुड़े तो उसकी पत्रिका “मधुमती” को नया रूप प्रदान किया। कहानी, कविता, नाटक, आलोचना, व्यंग्य, निबन्ध आदि कई विधाओं में वे लिखते रहे हैं तथा कहानीकार के रूप में उन्हें विशिष्ट पहचान मिली है।
गतिविधियाँ:
राजस्थान जनवादी लेखक संघ के दो बार अध्यक्ष रहे। वर्तमान में राज. प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष हैं। जीवन और साहित्य में वे सक्रिय व्यक्ति हैं तथा अपने विचारों के प्रति पूर्ण निष्ठावान हैं। जो कुछ उन्होंने पाया है अपनी श्रमशीलता और निष्ठाभावना से पाया है।
प्रकाशन: वे सामयिक विषयों पर भी पूरी तल्ख़ी के साथ लिखते रहते हैं। शिक्षा विषय विसंगतियों पर उनके आलेख नियमित छपते रहते हैं उनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं:
कहानी-संग्रह:
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तीन कमरों का मकान
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ज़मीन से हटकर
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चीफ़ साब आ रहे हैं
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तीर्थयात्रा
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रास्ते बन्द नहीं होते
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समय कभी थमता नहीं आदि
नाटक: आधार की खोज
शोध प्रबन्ध: स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कहानी में मानव प्रतिम
अन्य पुस्तकें:
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परिवेश की चुनौतियाँ और साहित्य
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संस्कृति और साहित्य संस्कृति
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शिक्षा और सिनेमा
आदि पुस्तकें उनके साहित्य चिन्तन का प्रमाण देती हैं।
आत्म-सम्मान से जीने वाले हेतु भारद्वाज ने कभी अपनी पुस्तकों का न विमोच कराया न किसी से उनकी भूमिका लिखायी। वे इन चीज़ों को साहित्येतर निरर्थक प्रथा मानते हैं।
सम्मान एवं पुरस्कार: राजस्थान साहित्य अकादमी से वे पुरस्कृत और सम्मानित हो चुके हैं।