ज़िन्दगी

14-07-2025

ज़िन्दगी

अनिल कुमार

 
आज जब भी देखा
मैंने खिड़की से बाहर झाँक कर
तब हर पल महसूस किया कि
ज़िन्दगी सच में
कितनी मुश्किल है! 
 
क्योंकि खिड़की के उस तरफ़-
कार्यरत थे
निचले तबक़े के कुछ लोग
रंग रोग़न के काम में
जो लकड़ी की बनी सीढ़ी की—
लरज़ती पगडंडियों से चलकर
बिल्डिंग के छज्जों तक पहुँचकर
मौतनुमा ऊँचाई को छूकर
अपने जीने का सामान कर रहे थे . . .! 

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