ये क्या हो रहा मेरे देश में

01-08-2022

ये क्या हो रहा मेरे देश में

अमृता बोकड़िया (अंक: 210, अगस्त प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

ये क्या हो रहा मेरे देश में
कोना कोना सुलग रहा न जाने किस राग द्वेष में
दुश्मन घूम रहा अपनों के ही भेस में
ये क्या हो रहा मेरे देश में
 
डर व् अफ़वाहों ने फैला रखा हैं आतंक
धर्म की इस गन्दी राजनीति ने मचा रखा है हड़कंप
झूठी लोकप्रियता के हुए इतने ग़ुलाम
देकर असंवेदनशील टिप्पणियाँ कर रहे
इस विश्व गुरु को पूरी दुनिया में बदनाम
और दहशतगर्दी तो सरे आम गाला काट
बनाना चाहते हैं इसे तालिबान
ये क्या हो रहा मेरे देश में
 
होती थी जहाँ अनेकता में एकता की बातें
अब तो बसती हैं वहाँ चारों ओर नफ़रतें
धर्म निरपेक्षता का थे डंका बजाते
अब साम्प्रदायिकता का ही हम पाठ पढ़ाते
शान्ति व् अमन के लिए थे हम जाने जाते
अब तो दंगों व् नर संहारों की ख़बरों से पहचाने जाते
ये क्या हो रहा मेरे देश में
 
सोचा है कभी, क्या होगा इसका अंजाम
ख़तरे में हैं हमारे बच्चों का भविष्य
जो देख रहे आये दिन ऐसे क़त्ले आम
ना है इसमें किसी की हार, ना ही मिलेगी किसी को जीत
फिर चाहे वो हो रहीम या फिर हो राम
भला क्यूँ कर रहे हम अपना ही नुक़्सान
भूल गए हम, क्यूँ कहलाता भारत देश महान
भूल गए हम, क्यूँ कहलाता मेरा देश महान

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