वक़्त से कोई लम्हा चुराया जाए
सीमा शर्मा ‘तमन्ना’
चलो वक़्त से आज फिर
लम्हा कोई चुराया जाए
क्यों न इतिहास को फिर
एक बार दोहराया जाए।
कहाँ मिल पाता है आज
इस दुनिया में अपना कोई
मिल जाए गर कोई बनकर
ख़ुदा तो उसे पाया जाए।
दौर वो नफ़रतों का दोस्तो!
यूँ तो बहुत हो चुका अब
चलो राग प्रेम और प्रीति का
फिर से क्यों न गाया जाये।
कहने को तो ये दुनिया जो
कहा करती है हमें अपना
चलो उनको ही क्यों न आज
फिर आज़माया जाए . . .!!