वर्षा
शिवकुमार दुबे
वर्षा की बूँदों का
पृथ्वी पर पड़ना
सूखी दर्रोयुक्त
धरती को तृप्त
करती ये अमृतमयी
बूँदें जो गिरती बदन पर
आषाढ़ सावन भादों
की तेज़ मध्यम रिमझिम
वर्षा की बूँदें रिझाती झुलाती
इठलाती वन में वृक्ष हवाओं
से जूझते टूटते पर मदमस्त
होते हैं हवाओं के झोकों से
पक्षियों की चहचाहट गूँजती
अंकुरण से प्रस्फुटित होते
बीजों का उत्साह सबकुछ
नियति प्रकृति से संधारित
ज़मीन पर बिछी हरी चादरें
जीवन को रोमांचित कर
वर्षा का विहंगम चित्र
प्रस्तुत कर हर ओर उमंग
चितवन सा रूप प्रगट
करती प्रकृति वर्षा काल में।