वंदना मुकेश : संकलित कहानियाँ

01-12-2021

वंदना मुकेश : संकलित कहानियाँ

लक्ष्मी शर्मा सिरोठिया (अंक: 194, दिसंबर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

पुस्तक का शीर्षक: वंदना मुकेश : संकलित कहानियाँ
लेखक: डॉ. वन्दना मुकेश
प्रकाशक का नाम: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत
प्रकाशन वर्ष: 2021
पुस्तक का मूल्य: ₹ 125.00
पृष्ठ संख्या: 98

डॉ. वंदना मुकेश शर्मा दी किसी परिचय की मोहताज नहीं है लेकिन फिर भी औपचारिक रूप से आप सभी को बता दूँ कि वह इंग्लैंड में प्रयोजनमूलक अँग्रेज़ी की प्राध्यापिका एवं हिंदी में स्वतंत्र लेखन कार्य करती हैं उनकी कुछ चर्चित पुस्तकें– नौवें दशक का हिंदी साहित्य एक विवेचन, मौन मुखर जब (काव्य संग्रह) तथा हाल ही में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत द्वारा प्रकाशित संकलित कहानियाँ हैं। इसके अतिरिक्त इन्होंने मराठी में कुछ अनुवाद और कई पुस्तकों का संपादन भी किया है। इन्हें विश्व हिंदी साहित्य परिषद, दिल्ली द्वारा 'सृजन भारती' सम्मान 2016, भारतीय उच्चायोग, लंदन द्वारा डॉ. लक्ष्मीमल सिंघवी अनुदान-सम्मान 2014, यू.के. क्षेत्रीय हिंदी सम्मेलन 2011, में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए भारत सरकार द्वारा विशिष्ट सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए हैं। 

वंदना मुकेश दी को मैं बहुत-बहुत बधाइयाँ प्रेषित करती हूँ। 'संकलित कहानियाँ' पढ़ते हुए कभी मुझे प्रेमचंद जी की तो कभी जैनेन्द्र जी का स्मरण हो आया। यथार्थ को व्यक्त करती हैं। हमारे समाज में, आस-पास नित नयी घटनाएँ घट रही होती हैं। जिन्हें हम कभी-कभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से देखते, सुनते व समझते हैं। जिनमें से कुछ घटनाएँ हमारे मन पर अपनी छाप कुछ इस क़दर छोड़ जाती हैं कि हम सोचने पर विवश हो जाते हैं कि ऐसा क्यूँ हुआ? काश हम कुछ कर पाते। यही अंतर्द्वंद्व निरंतर मन में चलता रहता है, और उस द्वंद्व को हम पाल पोसकर इतना बड़ा कर लेते हैं कि वह हम पर ही हावी होने लगता है। उस द्वंद्व से ही कहानी जन्म लेती है। 

निज परिताप द्रवइ नवनीता, 
पर दुख द्रवहिं संत सुपुनीता। 

दूसरों के प्रति मन में दया, सहानुभूति, करुणा, सद्‌भाव, परोपकार लेखिका के सहृदयता के परिचायक हैं। 

'संकलित कहानियाँ' का ताना बाना भी इसी आधार पर बुना गया। वंदना मुकेश दी ने अपनी कहानियों के माध्यम से मनुष्य को उसके सपनों, उसके समाज, उसके सुख-दुःख, उसकी हार-जीत, उसका अंतर्दशा, उसके संघर्ष और उनकी उपलब्धियों को प्रस्तुत किया है जिनमें मानवीय संवेदनाओं की रागात्मकता मौजूद है। प्रत्येक कहानियों के पात्र और उनका संघर्ष कहानी का मूल मनोवैज्ञानिक आधार है। हर कहानी कुछ कहती है, मन को छू जाती है। सोचने पर विवश कर देती है, सीख देती है। 

'संकलित कहानियाँ' में कुल बारह कहानियाँ हैं जिसमें प्रत्येक कहानी का शीर्षक अत्यंत रोचक व कहानी के अनुरूप है, जो पाठकों में कहानी पढ़ने के लिए कौतूहल व जिज्ञासा जगाती है।

पहली कहानी 'मशीन' हर एक उस स्त्री की कहानी है, जो प्रतिदिन यंत्रवत चलती है, अपनी दिनचर्या में जुट जाती है। उसके विचारों, भावनाओं, निराशा, कुंठा, जीवन के अभावों की किसी को भी क़दर नहीं। साथ ही 'मशीन' कहानी पति-पत्नी के पारस्परिक संबंधों के बीच आयी उस गहरी खाई को भी दर्शाती है जहाँ गहरा सन्नाटा पसरा हुआ है। कहानी की नायिका हर दिन उसे संवाद के माध्यम से भरने का असफल प्रयास करती है। कहानी आकार में लघु होने पर भी अपना अमिट प्रभाव छोड़ती है। 

'छाँह' कहानी के सभी पात्र वास्तविक, सजीव, स्वभाविक तथा विश्वसनीय लगते हैं। कहानी का आंचलिक परिवेश जेठ मास की भीषण गर्मी में भी लुभाता है। नायिका लछ्मी, ताऊजी व विष्णुप्रसाद के मध्य हुए संवादों में अपनी मिट्टी की सुगंध आती है। विष्णुप्रसाद के प्रेम व स्नेह की छाँह जलती व तपती गर्मी में लछ्मी को शीतलता प्रदान करती है। 

'ऋण' वर्तमान पीढ़ी के सुविधावादी जीवन व व्यक्तिगत दृष्टिकोण को दर्शाती कहानी है। जिसने सामाजिक व पारिवारिक कर्तव्यों को निगल लिया है। आज माता-पिता बच्चों पर बोझ बन गए हैं। मानव अपने कर्तव्यबोध व दायित्वबोध से विमुख हो गया है। वंदना जी ने रमानाथ के माध्यम से नीचे गिरते सामाजिक विघटन व सांस्कृतिक मूल्यों को उद्घाटित किया है सुभाष का व्यक्तित्व इस अंधकार में प्रकाश के समान है। 

वसुधा के 'घर' के रूप में हर स्त्री को कहीं न कहीं अपनी झलक दिखाई देती है कहानी के पात्र व संवाद देशकाल तथा परिस्थितियों के अनुरूप हैं। वसुधा बीमार है हर स्त्री की भाँति वह भी अपने बच्चों व पतिदेव को परेशान नहीं देखना चाहती है। लेकिन शारारिक कमज़ोरी के चलते वह मजबूर है। पर जब वह अपनी द्वारा सुसज्जित अपने अखंड साम्राज्य अर्थात्‌ रसोई को जिस बुरी स्थिति में देखती है असफलता, अपमान व क्षोभ से भर जाती है। व बेहोश हो जाती है उसे इस स्थिति में देखकर बच्चे व पतिदेव घबरा जाते हैं व उन्हें अपनी ग़लती का एहसास होता है। व रसोई को सभी मिलकर पहले जैसा कर देते हैं। अंत में सात्विक की तोतली बोली पर हँसी आ जाती है एक सुखद अंत के साथ कहानी का समापन होता है। 

'साजिदा नसरीन'का चरित्र मेरे मन को छू गया। ये कहानी आत्मकथात्मक शैली में लिखी है। और कहीं न कहीं लेखिका का निजी अनुभव प्रतीत होता है। साजिदा नसरीन एक ऐसी मासूम, भोली, अपरिपक्व महिला की कहानी है, जिसका मन आईने की तरह साफ़ है। टीचर जी वह पहली शख़्स हैं जो उसे समझती हैं, वह अपनी सारी बातें टीचर जी से साझा करती है। टीचर के लिए अपने सभी विद्यार्थी समान होते है लेकिन कुछ एक विद्यार्थी अपने क्रिया-कलापों से शिक्षक के मन में एक विशेष स्थान बना ही लेते हैं। साजिदा के लिए टीचर जी मलहम के समान है जिसके मिलते ही ठंडक तो पड़ती है साथ ही ज़ख्म भी भरता है। 

बात छोटी सी क्यूँ न हो, बात का छोटा-बड़ा होना तो इस बात पर निर्भर करता है कि बात किस परिप्रेक्ष्य में कही गयी है, कहने वाले ने भी उसे उसी प्रकार ग्रहण किया है या नहीं। उम्मीदें जब टूटती हैं तो बहुत दुख होता है रमा के साथ भी यही हुआ। कहानी की पृष्ठभूमि एक छोटे शहर मथुरा की है। रमा की बेटी का विवाह है। समय नज़दीक आते-आते रमा की बैचेनी व घबराहट बढ़ने लगती है। रिश्तेदारों के लिए साज सुविधाओं का प्रबंध करना, सबका ध्यान रखना, कहीं किसी की आवभगत में कोई कमी न रह गयी है। वहीं राकेश-मीनल का अनअपेक्षित व्यवहार रमा की परेशानी का सबब बन जाता है। क्योंकि रमा जिन्हें अपना समझती है, वही उसके लिए परेशानी खड़ी कर देते हैं। 'छोटी सी बात' आज के अवसरवादी युग में पल-पल बदलते रिश्ते-नातों की कहानी है। 

'चाची' का चरित्र एक ऐसी स्त्री की कहानी है, जो आजीवन अपने परिवार व पति की ख़ुशी के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन बलिदान कर देती है। व बदले में वह कोई अपेक्षा नहीं रखती कहानी हृदय पर मार्मिक प्रभाव की अभिव्यंजना करती है। इंदू के साथ चाची का निस्वार्थ प्रेम व स्नेह देखते ही बनता है। कभी-कभी परिस्थितियों पर मनुष्य का वश नहीं होता। वह केवल मूक दर्शक बनकर सब होते देखता रहता है। चाची के प्रति चाचा के व्यवहार से इंदू के बालमन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इंदू के मन पर जो बोझ बचपन से था, वह चाची के इन शब्दों से उतर जाता है कि "अपेक्षाएँ ख़त्म हो जाएँ तो ज़िंदगी आसान हो जाती है” और वह तो प्रारंभ से ही नेहा व चाचा के रिश्ते के बारे में जानती है। वाक़ई में चाची गंगा थी। 

एक ग़लती मेरी एक तुम्हारी. . . में नील द्वारा अपने जैविक पिता की खोज, तथा रिचर्ड व नील के संबंधों में आये उतार-चढ़ाव, रेचल के मन में एक अनजाने भय को जन्म देते हैं। उसे यही लगता है कि कभी भी नील और रिचर्ड एक दूसरे को मन से अपना पायेंगे या नहीं। ये कहानी आधुनिक सामाजिक परिवेश में आये बदलाव की कहानी है। 

'गॉड ब्लेस यू' . . . कहानी का पात्र हम्फ्री डिक्सन एक प्रकार से समाज से तिरस्कृत है जो स्नेह व अपनापन चाहता है और वह उसे सुमि में नज़र आता है। बच्चों की तरह हम्फ्री का व्यवहार, अंत में सुमि के हृदय को द्रवित कर देता है। बहुत ही रोचक और मर्मस्पर्शी कहानी है। कहीं न कहीं ये ऐसा अनुभव है, जो हमारे आसपास से ही लिया गया लगता है, ऐसा कोई भी पात्र या प्रसंग जिनसे वह प्रभावित होती है, ऐसा कोई अनुभव जो उन्हें चुभता या काटता है या कोई ऐसी प्रेरणा जो उनमें कुछ रचती है, वे उसे बिना किसी डर, भय के कहानियों में उतार देती हैं। उनकी कहानियों का सम्प्रेषण इतना प्रभावी व ज़बरदस्त है कि पाठक को समझ में आ जाता है कि किस अनुभव को कहाँ से लिया गया है। कहानी के संवाद देशकाल व पात्रों के अनुरूप ही अत्यंत सरल, सहज, रोचक है। आपकी कहानियाँ यथार्थ और सामाजिक परिप्रेक्ष्य को समाहित करते हुए लिखी गई हैं। 

बचपन में घटी कोई घटना हमारे ऊपर अपना इतना प्रभाव बना लेती है कि किसी भी जानवर के प्रति हम एक धारणा निर्मित कर लेते हैं या पूर्वाग्रह बना लेते है कहानी 'बिल्ली' का ताना-बाना भी कुछ इसी तरह बुना गया है। एक अनजाने भय से व्याप्त अत्यंत रोमांचक कहानी है। कहानी का अंत भी एक असमंजस पूर्ण स्थिति में हुआ है। 

'फ्री लंच' कहानी एक हल्की-फुल्की व्यंग्यात्मक कहानी है ऐसे अवसरवादी लोगों की, प्रायः जो किसी न किसी ऐसे मौक़े की तलाश में रहते हैं, जहाँ उन्हें फ्री लंच नसीब हो जाये। सिमोना जैसे लोग हमारे आस-पड़ोस में ही मिल जाते हैं कहीं न कहीं ये हम सब की आपबीती है। 

’वाकई तस्वीरे बोलती हैं . . .' एक अनूठी, अद्भुत, रोचक कहानी है जो मन को छू जाती है। 

वंदना मुकेश जी की 'संकलित कहानियाँ' उस रंग-बिरंगी माला की तरह हैं जिनमें विभिन्न प्रकार के ख़ूबसूरत मोतियों से पिरोया गया है। संकलित कहानियाँ प्रेम, स्नेह, सुख-दुख, दया, करुणा, हास्य, भय का सम्पूर्ण पैकेज है। कहानी संग्रह जीवन के सभी संवेगों का पुट लिए हुए है। प्रत्येक कहानी प्रारंभ में एक कौतूहल जगाती है जिससे पाठक कहानी को तादात्म्य के साथ पढ़ता है। व कहानी को अपने साथ जोड़ लेता है। यही कहानी की सफलता है। यह कहानी संग्रह देश-विदेश में हिंदी कहानी के वैभव का यत्किंचित परिचय देगा। व सफलता के नए प्रतिमान स्थापित करेगा। ऐसा मेरा मानना है। 

1 टिप्पणियाँ

  • 24 Nov, 2021 04:14 AM

    लक्ष्मी , आपके विस्तृत विवेचन विश्लेषण से इन कि कहानियों का कद बढ़ गया है। हृत्तल से आभार । वंदना मुकेश

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