तू परियों की राजकुमारी है
हरबीर लुधियानवीलोरी
(६ मार्च, २०१२ को अपनी दोहती सरीन के जन्म लेने पर लिखी गई थी)
तू परियों की राजकुमारी है
नाज़ुक सी कोमल तू प्यारी है
चंचल तितली सी तू न्यारी है
सब आँखों की राजदुलारी है
मुस्कानों की एक पिटारी है
हँसी की मीठी किलकारी है
मख़्मल से चिकने रुख़्सार तेरे,
लाला गुल की सुर्ख़ क्यारी है
छोटी सी आँखें है ख़्वाबज़दा
सपनों में डूबी सी ख़ुमारी है
बारीक शुआओं से बाल तेरे,
किरनों में नहाती तू प्यारी है
छोटे छोटे हाथ हैं प्यारे
तू बनती तक़दीर हमारी है
तू लगती है एक खिलौना सा
बार्बि गुड़िया सी तू न्यारी है
फूल नाज़ुक हैं पाँओं तेरे
जन्नत से आई तू दुलारी है
नन्हे से माथे पे नन्ही शिकन
क्या नन्ही सी सोच तुम्हारी है
जान से प्यारी है ’हरबीर’ हमें
तू नाज़ुक सी जान हमारी है