सुकून की तलाश है
लवनीत मिश्र
सुकून की तलाश है,
मन ख़ुद से हताश है,
उलझी है ज़िंदगी,
हर ख़्वाहिश उदास है।
ठहर सा गया है,
ख़्वाबों का आना,
अँधेरा ही दिखता है,
है सबकुछ विराना।
ना जाने फिर क्यूँ,
कुछ पाने की आस है,
सच ही कहूँ मुझको,
सुकून की तलाश है।
पाने से ज़्यादा,
तो खोने का ग़म है,
सह लूँ जुदाई अब,
नहीं इतना दम है।
मायूस दिल अब,
ख़ुद से निराश है,
सच ही कहूँ मुझको,
सुकून की तलाश है।
उलझी है जिंदगी,
हर ख़्वाहिश उदास है।
1 टिप्पणियाँ
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sunder rachna....... सुकून की तलाश है।