श्रद्धांजलि - पूर्व प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी को
नागेन्द्र दत्त वर्माप्रस्तुति : शकुन्तला बहादुर, कैलिफ़ोर्निया
हे भारत माँ के “लाल” तुम्हें,
मेरा शत शत है नमस्कार।
हे जनता के सच्चे प्रतिनिधि,
जन जन का शत शत नमस्कार॥
मानवता के रखवाले तुम,
हर मानव का है नमस्कार।
हे विश्वशान्ति के अग्रदूत,
है जग का तुमको नमस्कार॥
बचपन कष्टों में पला मगर,
जीवन में हँसना सीखा था।
कर्मठता आँचल में बाँधे,
जेलों में रहना सीखा था॥
बापू,नेहरू सम गुरू मिले,
तव मार्ग प्रदर्शित करने को।
दी भेंट विरासत में तुमको,
दुष्कर नेतृत्व निभाने को॥
अति विषम परिस्थितियों में भी,
हो निडर सदा डट जाते थे।
फिर गहन समस्याओं के घन,
तेरे सम्मुख छँट जाते थे॥
निज सरल, मधुर बातों से तुम,
जन जन का मन हर लेते थे।
जाने किस वशीकरण द्वारा,
सबको अपना कर लेते थे॥
माता की आँखों में आँसू,
तुम देख कभी क्या सकते थे?
बर्बर दुश्मन पद-दलित करे,
ऐसा क्या तुम सह सकते थे?
बातों की भी सीमा होती,
सहने की सीमा होती है।
पर बात नहीं जब बनती हो,
तलवार उठानी पड़ती है॥
हैं शस्त्र-धनी हम भारतीय,
तुमने जग को यह बता दिया।
पर शान्ति-अहिंसा भी प्यारी,
ये ताशकन्द में दिखा दिया।।
निज जीवन का उत्सर्ग किया,
सुख-शान्ति मही पर लाने को।
दानव को मानवता देने,
दुश्मन को मित्र बनाने को॥
तेरी निर्मल ज्योति से ज्योतित,
भारत के होवें नर-नारी।
तेरे चरणों में नतमस्तक,
होती है नित वसुधा सारी॥