समंदर की लहरें 
जब उमड़कर आती हैं, और 
खींचतीं हैं मुझे अपनी ओर 
मेरे पैर ज़मीं पर धँस जाते हैं 
और 
रेत लहरों के साथ बह जाती हैं 
ऐसा लगता हैं कि 
कोई रिश्ता हैं 
जो मुझे बाँधता हैं इस ज़मीन से, 
इन लहरों से और इस विशाल सागर से, 
मैं अपरिचित अनजान 
पहली बार सागर से मिला 
उन्माद में खेलती लहरों से मिला 
देखा, 
किनारे तक आती हुई और
उतने ही वेग से जाती हुई लहरों को 
अथाह पानी के विस्तार को और
सागर के साम्राज्य को, 
मुझे सब जीवित-से लगे 
सब अपने-से लगे

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