साक्री बस स्टैंड

01-02-2023

साक्री बस स्टैंड

यास्मीन फ़रहत शाह (अंक: 222, फरवरी प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

आज रुकी है ज़िंदगी दो पल
उसी बस स्टैंड पर। 
जहाँ तुम्हारे साथ की ख़्वाहिश
दिल ने किसी मासूम बच्चे की तरह की थी॥
  
वहीं तो एक फोटो शॉप भी है। 
तुम्हारे साथ एक तस्वीर लेने की इच्छा भी। 
कितनी बार अपनी मौत मरी थी॥
  
देखो ना सब कुछ तो है यहाँ
सारे मंज़र, सारी दुनिया
टूटे ख़्वाब और उलझे नैना, 
तेरे साथ गुज़रे आधे-अधूरे सपने
सब कुछ तो है लेकिन
बस इस सारे मंज़र में
एक मैं नहीं हूँ, 
इक तुम नहीं हो। 

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