पत्ता
चुम्मन प्रसादआया वसंत
पेड़ की टहनी पर
निकला,
कोमल, सुंदर प्यारा-सा
पत्ता,
हरा-हरा।
सूरज के प्रकाश से
पूरे वृक्ष के लिए
भोजन जुटाता
मगन होकर
ग्रीष्म, वर्षा या शरद हो।
आया फिर
पतझड़ निर्मोही,
भय से पीला
पड़ गया वह।
गिर पड़ा वह पीतवर्णी
आई
जब लेने उसे
आग़ोश में
मृत्यु हठीली॥