पैर बहुत जलने लगे . . .
वीरेन्द्र कुमार कौशलवह भी बचपन का
क्या अनमोल समय रहा
जब देखते ही देखते
एक ही साँस में
बिना किसी
कारण या वज़ह ही
तपती सिखर दोपहरी में
पूरी की पूरी अपनी गली
पड़ोस का मोहल्ला
बिना किसी झिझक के
बिना जूते चप्पल के
नाप आया करते
लेकिन जब से
डिग्री की समझ आई
तब से तो
जूते चप्पल में भी
पैर बहुत जलने लगे
पैर बहुत जलने लगे . . .