मेरे प्यारे पापा
प्रतीक्षा नारायण बडिगेरउड़ूँगी मैं परी जैसी,
आप मेरे पंख जो हैं।
टिमटिमाऊँगी मैं तारों जैसे,
आप नीले अम्बर जो हैं।
हमेशा रहूँ मैं आपके साथ,
ना छोड़ूँ कभी आपके हाथ।
आपके कंधों पर बेठकर देखूँ सारा जहाँ,
आप हो तो क्यों ढूँढ़ूँ मैं मंदिर यहाँ ।
पूरी दुनिया देखी, न थी ख़ूबसूरत,
आपको देखा तो लगा,
मुझे दुनिया देखने की भी क्या है ज़रूरत।
हमें ख़ुश रखने के लिए,
आप सब कुछ करते हैं।
पर आप ख़ुद चिंता की नदी में,
तैरते हुए नज़र आते हैं।
अगर बड़ी होकर कभी,
होना ही है मुझे आपसे जुदा,
तो हमेशा छोटी ही रखे मुझे ख़ुदा।
आपके कन्धों पर बैठूँ मैं,
ना होऊँ बड़ी कभी,
चाहे हँसे मुझपर लोग सभी।