मन चितेरा

15-04-2023

मन चितेरा

सतीश उपाध्याय (अंक: 227, अप्रैल द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

मन चितेरा चंदन हुआ
भीतर उठी, सुबास 
 
लेकर हवाएँ आ गइं 
झोंके प्रफुल्लित फूल के
छुप गए भीतर कहीं
काँटे बबूल के। 
 
मरुथल भूमि भूल गई 
शापित सब संत्रास॥
 
टूट गए सारे सन्नाटे 
फिर ऋचा गाने लगी 
चटक गईं कलियाँ सभी 
तितलियाँ आने लगीं। 
 
नेह तन में बरस गया
जैसे पावस पास। 
 
आया जो आकाश, द्वार पर 
लेकर चाँद सितारे
इंद्रधनुष के सातों रंग
पल-पल पैर पसारे। 
 
मनुहारी बातों को लेकर
घर आया मधुमास। 
 
मकरंदों से घुली हुई
जब से मिली ज़ुबान
मधुर सभी रिश्ते हुए 
खोया कहीं गुमान। 
 
ख़ुशियाँ राज सिंहासन पर 
आँसू को संन्यास। 
 
भीतर की भी तपिश मिटी
राख हुए अंगार 
भिनसारे खिलने लगे
जूही और कचनार। 
 
ऊसर मन को मिल गया
हरियल सा विन्यास।  

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