माँ है अनुपम
डॉ. कनिका वर्मामाँ है अनुपम
माँ है अद्भुत
माँ ने नीर बन
मेरी जड़ों को सींचा
और उसी पानी से
मेरे कुकर्म धोए
माँ ने वायु बन
मेरे सपनों को उड़ान दी
और उसी हवा से
मेरे दोषों को उड़ा दिया
माँ ने अग्नि बन
मेरी अभिलाषाओं को ज्वलित किया
और उसी अनल में
मेरी वासनाओं को दहन किया
माँ ने वसुधा बन
मेरी आकांक्षाओं का पालन किया
और उसी भूमि में
मेरे अपराधों को दबा दिया
माँ ने व्योम बन
मेरी आत्मा को ऊर्जित किया
और उसी अनन्त में
मुझे बोझमुक्त किया
माँ है अनुपम
माँ है अद्भुत