कोई मुझे ग़ुस्सा दिला कर दिखाए

01-06-2025

कोई मुझे ग़ुस्सा दिला कर दिखाए

डॉ. प्रियंका पाठक (अंक: 278, जून प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

चंपक वन का राजा बब्बर शेर था। उसने पूरे जंगल में घोषणा करवा दी कि “जो मुझे ग़ुस्से दिला देगा, उसे एक साल का खाना मेरी तरफ़ से मुफ़्त मिलेगा।” 

इस घोषणा को सुनते ही सारे जानवरों के बीच ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी। दूसरे दिन सभी जानवर नए-नए कपड़े पहनकर दरबार में हाज़िर हो गए। 

सभी जानवर अपने आप को बहुत तेज़ और बुद्धिमान समझ रहे थे। 

सभी जानवर अपने-अपने स्थान पर बैठकर महाराज के आने का इंतज़ार कर रहे थे। सबसे ज़्यादा इंतज़ार बमबम बंदर को था क्योंकि वह एक नंबर का कामचोर और बहुत ही आलसी था। 

बमबम बंदर से और इंतज़ार नहीं हो पा रहा था। बमबम ने हाथी सिपाही से पूछा, “महाराज कितने देर में आएँगे?” 

हाथी बोला, “आप लोगों को और आधा घंटा इंतज़ार करना पड़ेगा।” 

डेज़ी हिरण बोली, “बमबम मामा आप इतने उतावले क्यों हो रहे हैं’? आप वैसे भी जीतेंगे नहीं क्योंकि आप एक नंबर के आलसी और कामचोर हैं।” यह सुनकर बमबम को ग़ुस्सा आ गया। 

वह बोला, “मैं क्यों नहीं जीतूँगा? जितनी अक़्ल मेरे पास है उतनी अक़्ल किसी के पास नहीं। डेज़ी, तुम कौन सी दूध की धुली हुई हो, तुम्हारी माँ चंपा बहन तुम्हें कोई काम करने के लिए कहती है तो तुम इधर-उधर भागती हो और मुझे कामचोर, आलसी बोल रही हो।

“मैं तो अपने मम्मी-पापा का सारा काम करता हूँ, तो मैं आलसी और कामचोर कैसे हुआ’? 

सभी जंगल वासी बमबम की बात पर हँसने लगे। लाली लोमड़ी बोली, “ज़्यादा हँसो मत बंदर मामा ही जीतेंगे।” 

सभी जानवर एक दूसरे को मूर्ख बनाने में लगे थे।

 उसी समय बब्बर शेर भी दरबार में हाज़िर हो गया। 

सभी जंगल वासी राजा की जय-जयकार करने लगे। राजा ने सभी को बैठने के लिए कहा। उन्होंने आगे कहा “मैंने सभी जंगल वासियों को यहाँ किस लिए बुलवाया है यह आप लोग जानते ही हैं।” 

सभी जानवर एक साथ बोले, “हाँ जानते हैं।” 

“सबसे मेरा अनुरोध है कि आप लोग एक-एक करके आएँ।”

सबसे पहले बमबम बंदर ही अकड़ में चलता हुआ गया। वहाँ जाते ही अपनी आदत के अनुसार बोलना शुरू कर दिया। महाराज, “आप पागल हैं, बुद्धू हैं, जाहिल हैं।” 

महाराज कुछ नहीं बोले हँसते रहे। अंत में मुँह लटका कर बंदर मामा बैठ गए। उन्हें मुँह लटकाए देखकर सभी जंगलवासी ख़ूब हँसे। 

उसके बाद डेज़ी हिरण गई। वह बोली, “जितनी सुंदर मैं हूँ उतने सुंदर आप नहीं हैं। इसीलिए तो आप मुझे देखकर जलते हैं, आप बहुत दुष्ट हैं, आप किसी भी प्राणी को ख़ुश देखना नहीं चाहते।” 

वह और भी बहुत अनाप-शनाप बोले जा रही थी। लेकिन राजा पर इसका कोई असर नहीं हुआ। 

वह भी जाकर बैठ गई। एक-एक कर सभी जानवर आते गए और सबके सब मुँह लटका कर बैठ गए। 

तब बब्बर शेर बोले, “आप सब के सब हार गए। पूरे जंगल में ऐसा कोई भी प्राणी नहीं है जो मुझे ग़ुस्सा दिला दे।” 

सब ने अपना मुँह लटका लिया। राजा ने सभा ख़त्म करने की घोषणा की। 

उसी समय ब्रूनो चूहा बोला, “रुक जाइए महाराज मैं आपकी चुनौती स्वीकार करता हूँ। क्योंकि मैं ही हूँ जो आपको ग़ुस्सा दिला सकता हूँ।” 

सब उसकी बात सुनकर हँसने लगे। लाली लोमड़ी बोली, “अरे भाइयो! देखो इस नादान चूहे को! कितना समझदार बन गया है, देखो अनपढ़ गँवार आया है, महाराज को ग़ुस्सा दिलाने। बड़े-बड़े लोग नाकामयाब हो गए और यह नन्हा अदना सा चूहा पता नहीं कैसे ग़ुस्सा दिला पाएगा।” 

सभी जानवर तरह-तरह की बातें बना रहे थे। लेकिन ब्रूनो चूहा सबकी बातें अनसुनी करते हुए महाराज के पास गया। 

 ब्रूनो बोला, “महाराज पहले आप वादा कीजिए कि मैं कुछ भी बोलूँगा तो आप ग़ुस्साइएगा नहीं न।” 

“नहीं यार! तुम बोल कर तो देखो। मैं वादा करता हूँ कि तुम्हारी किसी बात पर ग़ुस्सा नहीं होऊँगा।” 

“महाराज, मैं बोलना तो चाहता हूँ लेकिन बोल नहीं पाता कि कहीं आप ग़ुस्सा ना हो जाएँ।” 

बब्बर शेर थोड़ा खीझकर बोले, “क्यों इतनी बात बना रहे हो, बता भी दो ना।” 

“नहीं बताऊँगा। महाराज,” वह थोड़ा मुस्कुरा कर बोला। 

“क्यों नहीं बताओगे?”

ब्रूनो बोला, “महाराज यह बहुत ही राज़ की बात है। यदि बता दूँगा तो आप ग़ुस्सा हो जाएँगे।” 

बब्बर शेर इस बार सचमुच ग़ुस्से में आ गए। वह ब्रूनो को मारने के लिए झपटे। 

उसी समय ब्रूनो बोला, “महाराज आप अपना ग़ुस्सा शांत कीजिए, और धैर्य से काम लीजिए।

“आप ही ने घोषणा करवायी थी कि जो, ‘मुझे ग़ुस्सा दिला देगा, उसे मैं एक साल तक मुफ़्त में भोजन कराऊँगा’। मैंने आपको ग़ुस्सा दिला दिया। अब आप अपना वादा निभाइए।” 

ब्रूनो की बात सुनते ही बब्बर शेर का ग़ुस्सा शांत हो गया। वह खिलखिला कर हँस पड़े और मुस्कुरा कर बोले, “तुम सचमुच जीत गए।

“मैं समझता था कि मुझसे तेज़ इस जंगल में कोई नहीं होगा लेकिन तुम तो मुझसे भी तेज़ निकले। वाक़ई! तुम बहुत बहादुर और निडर हो।

“मैं तुम्हें एक साल का भोजन मुफ़्त में खिलाऊँगा साथ ही तुम्हें ढेर सारा उपहार भी दूँगा। मैं यह घोषणा भी करता हूँ कि तुम आज से इस जंगल के मंत्री हो।” 

सुयोग्य मंत्री की तलाश में अभी तक यह पद ख़ाली था। 

“इसलिए मैंने तुम्हारे नाम की घोषणा करवा दी। मैंने पहले ही विचार कर लिया था कि जो मुझे ग़ुस्सा दिला देगा, वह ज़रूर ही मंत्री पद के योग्य होगा और तुम ही मंत्री पद के योग्य हो। मुझे तुम्हारी बुद्धिमानी पर गर्व है।” 

अब सभी जंगलवासी ब्रूनो की प्रशंसा कर रहे थे। लाली लोमड़ी ने तो ब्रूनो की प्रशंसा में क़सीदे काढ़ना शुरू कर दिया, “मुझे तो पहले से ही पता था कि ब्रूनो बहुत ही अक़्लमंद है।” इस पर चीकू ख़रगोश ने चुटकी लेते हुए कहा कि “मौसी आप तो कह रही थी की ब्रूनो अनपढ़ और गँवार है। अभी अचानक अक़्लमंद कैसे हो गया? 

लाली लोमड़ी ने सफ़ाई देते हुए कहा, “चीकू बेटा मैं तो मज़ाक़ कर रही थी मुझे पता था कि ब्रूनो बेटा ही जीतेगा।” 

निक्कू हाथी बोले, “सचमुच ब्रूनो बहुत ही तेज़ दिमाग़ का है। देखने में तो छोटा है पर है बहुत बुद्धिमान।” 

सभी जंगल वासी ब्रूनो की प्रशंसा करते हुए अपने-अपने घर चले गए। 

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