ख़्याल
यकताकुछ सुलझे, कुछ अनसुलझे से।
कुछ कहे, कुछ अनकहे से॥
कुछ ख़्याली, कुछ हक़ीक़त से।
कुछ पूरे, कुछ अधूरे से॥
यूँ ही बिखरे, जज़्बातों से।
मेरे ही लफ़्ज़ों तले
मेरे ख़्याल।
कुछ सुलझे, कुछ अनसुलझे से।
कुछ कहे, कुछ अनकहे से॥
कुछ ख़्याली, कुछ हक़ीक़त से।
कुछ पूरे, कुछ अधूरे से॥
यूँ ही बिखरे, जज़्बातों से।
मेरे ही लफ़्ज़ों तले
मेरे ख़्याल।