कत्थई आँखों वाला शब्द
डॉ. ललित सिंह राजपुरोहितरातरानी की ख़ुशबू में लिपटा हुआ
कत्थई आँखों वाला एक शब्द
डरा सहमा सा मेरे पास से गुज़रा
गली के आख़री मुहाने पर ओझल हो जाने तक
मेरे आस-पास मँडराता रहा
रातरानी की ख़ुशबू में गूँथा हुआ
अजीब सा डर
कत्थई आँखों वाले शब्द के चेहरे पर
गली के नुक्कड़ पर पान की गुमटी में
डेरा जमाए हुए थे कुछ बदरंग शब्द
बिना किसी आहट
कर रहे थे पीछा
कत्थई आँखों वाले शब्द का
धुएँ के छल्ले बनाते हुए
कुछ मटमैले शब्द
अचनाक सब कुछ थम सा गया
जब कत्थई आँखों वाला शब्द
खाकी रंग के शब्द के साथ
पलट कर लौटा पान की गुमटी की ओर
सारे मटमैले शब्द छूमंतर हो गए
और
बदरंग शब्द बदल गए
रूई के फाये से सफ़ेद रंग में