करारा झटका
तपोजा दत्तासन् 2010... अर्जेन्टीना बनाम दक्षिण-कोरिया। उन्नीसवां फीफा विश्वकप का खेल एक धमाकेदार मोड़ पर। अंतिम सोलह में जगह बनाने के मैच में सारे के सारे जी-जान से खेल रहे हैं। दर्शकों के दिलों की धड़कनें तेज़ होने लगी हैं। उत्तेजना केवल जोहानेसबर्ग के मैदान में ही नहीं, बल्कि इसके बाहर भी थी।
मध्यान्तर तक दोनों ही टीमें गोल करने में असमर्थ रहीं। लगातार शानदार जीत दर्ज करनेवाली अर्जेन्टीना की टीम पर विपक्ष के खिलाड़ियों ने ज़बरदस्त दबाव बना रखा है। द.कोरिया के खिलाड़ियों के बेहतर प्रदर्शन के कारण मैदान के बाहर डियेगो माराडोना के दिल में भी उथलपुथल मची है।
दोनों ही पक्षों के समर्थक टी.वी पर आँख गड़ाए बैठे हैं। दीया, सोमाश्री और ऐहिक में अभी भी हौसला बरकरार है। सब ख़त्म नहीं हुआ। अभी खेल बाकी है। अर्जेन्टीना ज़रूर जीतेगी। वहीं दूसरी ओर, छोटे चाचा, दादाजी, जीता और साग्निक द. कोरिया के पक्ष में है। आकाश को लेकर नयी मुसीबत खड़ी हो गई। वह किसका समर्थन कर रहा है, इसका पता लगाना मुश्किल है। टी.वी. के सामने ज़्यादातर समय वह नींद में डूबा हुआ है। गोल होने की नौबत आते ही वह चिल्लाकर उछल पड़ता है। “टीम कोई भी हो, कोई फर्क नहीं पड़ता। गोल करना ही बड़ी बात है, चाहे करनेवाला जो भी हो”।
मध्यान्तर के तीसवें मिनट में ही पार्क च्यू यंग पर फाउल करने के आरोप में अर्जेन्टीनी खिलाड़ी कार्लोस ताबेज को पीला कार्ड दिखाया गया। साग्निक चिल्लाने लगा- "देख तेरी फेवरिट टीम का क्या हाल है, दूसरों को चोट पहुँचाकर जीतना चाहता है।"
ऐसी स्थिति में ऐहिक ने अपना मुँह न खोलना ही बेहतर समझा। टी.वी. के ऊपर फ्रेम में कोच माराडोना और स्ट्राइकर मेस्सी की तस्वीरों पर ताज़ा फूलों की माला भी चढ़ायी गयी। विपक्ष के तीन-चार खिलाड़ी हर वक्त मेस्सी को घेरे हुए हैं। लगातार कड़े दबाव में रहने के कारण मेस्सी जैसा बेहतरीन खिलाड़ी भी अपना धैर्य खो बैठा है। स्क्वायर पास करते हुए कोरिया के मिड्फिल्डर यिओम ने हिग्वेत को फाउल किया। सोमाश्री खफ़ा हो गई। उसका मानना है कि इतना कुछ होने के बावजूद रेफ़री ने जान-बूझकर यिओम को पीला कार्ड नहीं दिखाया। वह गुस्से से तिलमिला उठी। बोली – "देखो जीता, हालत देखो। कोरिया के खिलाड़ी अब गुंडागर्दी पर उतर आए हैं।"
दोनों पक्षों के समर्थक एक-दूसरे पर तीखे व्यंग्य वाणों से प्रहार करते रहे। अचानक एक फ्री-किक कोरिया के गोलपोस्ट में घुसने वाली ही थी, लेकिन गोलकीपर ने बॉल को मैदान के बाहर ढकेल दिया।
फिर एक नया मौका। खेल ख़त्म होने में केवल दो मिनट बचे हैं। अचानक मेस्सी तेज़ी से कई विपक्षी खिलाड़ियों को चकमा देकर पैनल्टि बॅाक्स में घुस गया। मेस्सी के गति को रोकने का दम सभी कोरियन डिफेन्डर्स खो बैठे। आजूबाजू कोई खिलाड़ी मौजूद नहीं। मेस्सी ने ज़बरदस्त किक लगाया। घर के चार दीवारी के अंदर के सभी अर्जेन्टीनी समर्थक उल्लसित होकर कूद पड़े। आधी रात को पड़ोसियों के भी चीखने की आवाज़ कानों में गूँज उठी।
"तो क्या मेस्सी को किसी ने चोट पहुँचाई?"
"नहीं।"
"कार्लोस का ऑफसाइड?"
"नहीं।"
"गोलकीपर घायल?"
"नहीं, नहीं।"
"तो गोल?"
"न बाबा।"
"तो फिर क्या !!"
"लोडशेडिंग।"