कहानी

दिव्यांशु द्विवेदी (अंक: 222, फरवरी प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

अंत में केवल कहानी बचती है। 
 
सब कुछ ख़त्म होने के बाद, 
अंत में बचती है, केवल कहानी। 
 
उत्तर के पर्वत, दक्षिण के समुद्र के बाद, 
हर दिशा को साधे हुए, 
समय के बाद, बचती है केवल कहानी। 
 
हर राजा और उसके चाटुकारों के बाद, 
बचती है केवल कहानी। 
 
कहानी नहीं सँजोती उनका तिलिस्म, 
वो सँजोती है केवल सत्य। 
 
हमारे बाद, हमारे अपनों के बाद, 
सबके प्यार को समेटे हुए, 
बचती है केवल कहानी। 
 
सभी वेदनाओं के बाद, 
हर उल्लास को समेटे हुए, 
हर हार के बाद की जीत को समेटे हुए, 
अंत में केवल कहानी बचती है। 
 
सब के किए धरे को सँजोकर, लगाती है एक पेड़, 
जो बचाता है, हमारे बच्चों को धूप से। 
 
हर कविता और हर कहानी के बाद भी, 
अंत में केवल कहानी बचती है।

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