काम को निकली औरत

21-04-2014

काम को निकली औरत

सविता प्रथमेश

 

काम को निकलती है
घर
से
“घर“. . . लेकर . . . 
क्या बनाना है
शाम को
क्या पढ़ाना है राजू को
बनाती जाती है लिस्ट
दिमाग़ में
लौटते हुए सामानों की
एडजस्टमेंट कर लेती है
पाँच-दस मिनट का
बॉस से कहकर जल्दी निकल आये
तो!! 
शायद
राजू की मैडम से मिलना हो जाये
कितने दिन हो गए . . . 
तब शायद बिना सब्ज़ी के . . .
तब इनका ग़ुस्सा
राजू की मैडम से फिर कभी . . . 
आज शाम की तैयारी तो हो गई
शाम को
लौटते हुए कल की तैयारी

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