होली

मुकेश कुमार सोनकर (अंक: 250, अप्रैल प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

गाँव के चौराहे पर आज ख़ूब भीड़ थी होली का त्योहार जो था। एक ओर होलिका दहन की आग की लपटें आसमान छूने को ऊपर उठ रही थीं तो दूसरी ओर गाँव के लोग ख़ुशी से एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर होली की बधाई दे रहे थे। होली के रंगों से चारों ओर माहौल ख़ुशियों भरा था कि तभी वहाँ एक बड़ी गाड़ी आकर रुकी और सभी का ध्यान उस ओर गया। 

मुखिया जी बोले, “अरे रामू बेटा, देख ज़रा त्योहार वाले दिन भला ये कौन आए हैं हमारे गाँव में? . . .” 

“जी मुखिया जी,” बोलकर रामू गाड़ी की ओर लपका। गाड़ी के ड्राइवर के पास जाकर उसने बात की और उसका सिर झुक गया; चेहरे पर ख़ुशी के जो भाव थे वह एकाएक ग़ायब हो गये। वो बड़े शांत क़दमों से सर झुकाए चलता हुआ मुखिया जी के पास आया और उनके कानों में कुछ कहा जिसे सुनकर मुखिया जी भी सकपकाए और कुछ लोगों को लेकर उस गाड़ी के पास गए। 

कुछ पल पहले ही जहाँ सभी गाँववाले होली की ख़ुशियाँ मनाते झूम रहे थे, अब वो शांत थे और कुछ लोगों के साथ मुखिया जी गाड़ी के नज़दीक जाकर बोले, “मोहन दो-चार लोग हाथ लगाकर गाड़ी से उतारो भाई उसे।” 

कोई समझ नहीं पा रहा था कि मुखिया जी किसे उतारने बोले, फिर भी चार लोगों ने मिलकर गाड़ी में से एक लंबे बक्से नुमा भारी चीज़ को उतारा। 

उसे खोलकर देखा तो गाँववालों के होश उड़ गए और सभी की आँखों से आँसू बहने लगे, ये तो उनके गाँव का रतन था जो कुछ साल पहले ही सेना में भर्ती हुआ था। कहने को वो बुधसिंह का बेटा था लेकिन गाँववालों को उस पर नाज़ था और सभी उसे अपना बेटा मानते थे। आज उसकी लाश अपने सामने आई देखकर पूरे गाँव में शोक की लहर दौड़ गई और हर आँख आज नम थी। 

मुखिया जी ने साथ आए सेना के जवान से पूछा, “ये सब कैसे हुआ भाई . . .” तो उसने बताया, “बाबूजी आपका बेटा भारत माँ की रक्षा करने सीमा पर तैनात था और होली की रात को दुश्मन देश की ओर से कुछ आतंकवादियों ने बॉर्डर पर घुसपैठ की कोशिश की जिसे देखकर उसने बड़ी बहादुरी से उन्हें रोका और जब तक साथी फ़ौजियों का दल नहीं पहुँचा तब तक उन्हें अकेले रोक कर रखा। 

“एक तरफ़ पूरा देश रंगों की होली मना रहा था और उधर सीमा पर ये बेचारा भारत माँ की रक्षा करते अपने ख़ून की होली खेल रहा था। इसकी अदम्य वीरता से दुश्मनों की घुसपैठ करके बड़ा हमला करने की योजना विफल हो गई। धन्य है वो माँ बाप और इस गाँव की मिट्टी जिसने इस जैसे बहादुर को जन्म दिया है!” 

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