हाल सबका ब-हाल है कि नहीं

01-10-2023

हाल सबका ब-हाल है कि नहीं

आर.पी. सोनकर ‘तल्ख़ मेहनाजपुरी’ (अंक: 238, अक्टूबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)


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हाल सबका ब-हाल है कि नहीं? 
और इसका मलाल है कि नहीं? 
 
आदमीयत बड़ी है या मज़हब, 
एक जायज़ सवाल है कि नहीं? 
 
दोस्त अहबाब खो दिया तूने, 
तुझको इसका ख़याल है कि नहीं? 
 
आँख बरसेगी आज सावन सी, 
पास तेरे रुमाल है कि नहीं। 
 
ज़िंदगी में हैं अब इतने वबाल, 
ज़िंदगी ख़ुद वबाल है कि नहीं। 
 
रहनुमा पूछता है हँस करके, 
बोलो जीना मुहाल है कि नहीं। 
 
‘तल्ख़’ किसको गरज की ये पूछे, 
यह निवाला हलाल है कि नहीं॥
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पूर्णतः मौलिक/स्वरचित/सर्वाधिक सुरक्षि

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