एक दिन
निरंजन कंवरएक दिन सम्मान,
बधाई संदेश महिला दिवस पर।
एक दिन की शुभकामनाएँ,
बेटी दिवस की।
कुछ दिन के उपक्रम,
कन्या पूजन के।
बाक़ी दिनों में कहाँ सम्मान,
सोचती यही आज की नारी।
कुछ दिनों अख़बारों की सुर्ख़ियाँ,
जब नारी पर हो अत्याचार ।
पर बाद में कोई सुध नहीं लेता,
न कोई ठोस क़दम सरकार के
और न ही क़ानून की सख़्त कार्यवाही।
कब तक चलेंगे,
ये झूठे उपक्रम सम्मान के?