एक छोटी सी कहानी
अनुराधा सिंहनन्ही सी कली खिली जो
ओस से अनजान थी
जिस डाली पर थी उसी से
बस उसकी पहचान थी
दुःख बाँटे भी तो किससे कि
ओस ने उसका रूप बिगाड़ा
फिर भँवरे ने कुछ और उजाड़ा
देनी थी सुगंध सो दे दी
पराग भी बाँटा
दो दिन की ज़िंदगी को
ना जाने कैसे काटा
साथ में थीं पत्तियाँ तने और जड़
जिन्होंने हवा पानी और धूप लेकर
पोषा तो... पर बचा न सके
नन्ही सी कली के सपनों को
अपना ना सके
कली बनी ख़ुशियाँ आयीं
फूल बनी सब मुस्काए
जब बिखर गयीं पंखुरियाँ तो
पास नहीं कोई आया
अजब कहानी है यारो
तब संग ना कोई मुस्काया