दोहा सप्तक
बिनोद बेगानाएक भयावह दौर से, गुज़र रहा संसार।
इक दूजे की मदद से, होगा बेड़ा पार।
मानवता की सेवा में, तत्पर हैं जो लोग।
दुआ कीजिए वे सदा, हरदम रहें निरोग।
बेशक अवसर ढूँढ़िए, है यह विपदा काल।
सौदा मगर ज़मीर का, करें नहीं हर हाल।
साँसों के व्यापार में, जो हैं दोषी सिद्ध।
पायें फाँसी की सज़ा, ऐसे सारे गिद्ध।
फीकी-फीकी सी लगे, आन, बान, सम्मान।
सबकी चिंता एक है, बची रहे बस जान।
पता नहीं क्यों है कुपित, हमसे क़ुदरत आज।
गाँव-गाँव को खा रहा, कोरोना वनराज।
नहीं भरोसा तंत्र पर, अब भगवन पर आस।
कोरोना के ख़ौफ़ से, लोग करें अरदास।