दो अतियों के मध्य संतुलन
आमिर दीवानहार निराशा लाती और जीत अहंकार
दो अतियों के मध्य संतुलन दुश्वार
आती साँस व जाती साँस के बीच का संसार
वही परम दशा, शेष सब बेकार।
अतियों का आकर्षण गहरा,
अकड़ की टपकने लगती लार,
जो करे ना कोई उसको करना,
ये लालच है बड़ा विकार।
उपवासों से गलती काया,
अति भोग करता बीमार,
ढीली हो तो बजे ना वीणा,
दृढ़ बाँधो तो टूटे तार ।
दो अतियों के मध्य संतुलन दुश्वार
वही परम दशा, शेष सब बेकार॥
बिन धन के तो कटे ना जीवन,
चले भला कैसे घर-बार,
पर धन के पीछे दौड़ हो अंधी,
तो भी जीवन हे निस्सार।
दो नावों में पाँवों को रखकर,
करना है भवसागर पार,
तंग रस्सी पे चलते नट सा,
बनना है सच्चा फनकार।
दो अतियों के मध्य संतुलन दुश्वार
वही परम दशा, शेष सब बेकार॥
मृत्यु तो एक अटल सत्य है,
जाने कब हो जाए वार,
उस वक़्त किसी के काम ना आते ,
हिफ़ाज़त के कोई हथियार।
किंतु जब तक मरे नहीं हैं,
उत्सव आनंद की क्यूँ रुके बहार,
बाहे खोल करे आलिंगन,
जीवन का अद्भुत विस्तार।
दो अतियों के मध्य संतुलन दुश्वार
वही परम दशा, शेष सब बेकार॥
झुके वृक्ष पे पड़ते पत्थर,
पके फलों को पड़ती मार,
पर जो झुकने की कला ना जाने,
पा सकता क्या सच्चा प्यार।
जो पाया वो दो कोड़ी का,
जो खोया उसका मूल्य अपार
चोखी तो है बात निदा की,
जादू का खिलौना है संसार
दो अतियों के मध्य संतुलन दुश्वार
वही परम दशा, शेष सब बेकार॥
केंद्र में रहे परम शान्ति,
परिधि पे चाहे जो व्यवहार,
साक्षी भाव से करे अवलोकन,
मन का उठता गिरता ज्वार।
सुख और दुःख के परे है मुक्ति,
क्यूँकर जाए दोउ के पार,
सच ही तो कह गए कबीरा,
उलट बांसी है ये संसार।
दो अतियों के मध्य संतुलन दुश्वार
वही परम दशा, शेष सब बेकार।
आती साँस व जाती साँस के बीच का संसार ,
वही परम दशा, शेष सब बेकार॥
1 टिप्पणियाँ
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Amazing lines.....