दीया बुझने की फ़िराक़ में बैठा था

01-02-2022

दीया बुझने की फ़िराक़ में बैठा था

ज्योतिष (अंक: 198, फरवरी प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

दीया बुझने की फ़िराक़ में बैठा था
अन्धेरा छुप के चिराग़ तले बैठा था
 
इश्क़ के सौदे में उसे मुनाफ़ा हुआ
मेरा जिस्म लिए बाज़ार में बैठा था
 
एक क़तरे ने लबों की प्यास बुझा दी
मैं तिश्नगी का अंबार लिए बैठा था
 
जोड़ा घटाया ज़िन्दगी भर की कमाई
सिवाए ज़ख़्म सब उधार लिए बैठा था
 
जात से बाहर इश्क़ किया ये मुद्दा था
सभा में राज़दार तलवार लिए बैठा था
 
ख़ुद को आज़ादी का मसीहा कहता था
पिजड़े में परिंदों को क़ैद किये बैठा था

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