छद्माभिमान
योगेश कुमार ध्यानीहम दर्पण को
पहनाते हैं तमगे
और फिर
उसमें देखते हैं
अपनी छवि को
ऐसे भरते हैं भूख
हम अपने बनाए
छद्माभिमान की
हम दर्पण को
पहनाते हैं तमगे
और फिर
उसमें देखते हैं
अपनी छवि को
ऐसे भरते हैं भूख
हम अपने बनाए
छद्माभिमान की