बुज़ुर्ग

कवि पृथ्वीसिंह बैनीवाल बिश्नोई (अंक: 212, सितम्बर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

घर का मान
बुज़ुर्गों का सम्मान
जीवन ज्ञान॥
 
दादा की याद
उनका आशीर्वाद
हम आबाद॥
 
दादी सुकून
घर की शान रही
दुर्भाव नहीं॥
 
है मात-पिता
हमारे भगवान
सदा महान॥
 
उनसे चैन 
हमारे है बेचैन
हमसे चैन॥
  
मातृ आँचल
सुरक्षित है जीवन
सरजीवन॥
 
देते आशीष
अंकल अर आंटी
देवे गारंटी॥
 
बुज़ुर्ग हँसी
है जीवन की सीख
मिटादे झीख॥
 
है पहचान
देती सुरक्षा ज्ञान
जीना आसान॥
 
बिन बुज़ुर्ग
घर रहता सूना
है समझना॥
 
न बीमार हो
कभी ना लाचार हो
वे ही सार हो॥
 
माँ आए याद
उनका आशीर्वाद
सुखी हैं आज॥
 
पूज्य पिताश्री
को मेरा है प्रणाम
बड़े महान॥
 
जीवन में है
सफल कर दिया
आशीष दिया॥
 
हम सबका
आधार परिवार
यही विचार॥
 
है पृथ्वीसिंह
आपकी ही संतान
करूँ प्रणाम॥

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