भगवान शिव वन्दना!
विजय ‘तन्हा’
मैं बालक अज्ञानी हूँ बाबा, रखना मेरा ध्यान।
पाप पुण्य को मैं न जानूँ मैं तो हूँ अनजान।
शिव शंकर है कोई कहता, कोई भोले नाथ।
परमपिता है तू ही जग का, तू ही दीनानाथ।
जगपालक है तू ही करता, पूरे सब अरमान।
मैं बालक अज्ञानी हूँ बाबा, रखना मेरा ध्यान . . .
तू है बड़ा दयालु बाबा, सबके मनकी सुनता।
तेरे दर पर आकर जो भी, तेरी धुन में धुनता।
तू ही देता सबको जग में, मान और सम्मान।
मैं बालक अज्ञानी हूँ बाबा, रखना मेरा ध्यान . . .
धन दौलत है आनी जानी, जितना भी वो आवे।
रूप रंग तो ढल ही जाना, वो क्या हमें लुभावे।
हमको तो बस सुमिरन भावे, जिसमें है कल्याण।
मैं बालक अज्ञानी हूँ बाबा, रखना मेरा ध्यान . . .
मैं क्या माँगूँ तुमसे बाबा, तुम हो अंतर्यामी।
घट घटवासी भोले बाबा, तुम हो सबके स्वामी।
दया की दृष्टि बनाए रखना, मैं माँगूँ वरदान।
मैं बालक अज्ञानी हूँ बाबा, रखना मेरा ध्यान . . .