बदलता मौसम
डॉ. ज़ेबा रशीदबदलते समय की
हलचल में अब
खोखली हुई मुस्कानें
दिल से प्यार का
जज़्बा गुम है
बेवफ़ाई का मौसम है
अब मतलब के
बाज़ार में
तेरा-मेरा रिश्ता गुम है।
हर दिल में लालच है
दौलत चाहे
कितनी मिल जावे
आदमी का दिल
ख़्वाहिशों का जंगल है
स्वार्थ के सागर में
सच्चाई का गुम है।
हर दिल में
अजीब सी हलचल है
बदलते समय की
हलचल में अब
खोखली हुई मुस्कानें
हर दिल से प्यार का
जज़्बा गुम है
समय की ठोकर खा कर
सुनहरा सपना गुम है
अब मतलब के
बाज़ार में
तेरा-मेरा रिश्ता गुम है।