बाँग और आरती
डॉ. दत्ता कोल्हारे ’रत्नाकर’मूल कवि : उत्तम कांबळे
डॉ. कोल्हारे दत्ता रत्नाकर
बाँग, घंटानाद और आरती सुनकर
पहले मनुष्य जाग जाता था
आज दंगा हो जाता है
और प्रार्थना स्थलों को ही
रक्तस्नान कराता है
मूल कवि : उत्तम कांबळे
डॉ. कोल्हारे दत्ता रत्नाकर
बाँग, घंटानाद और आरती सुनकर
पहले मनुष्य जाग जाता था
आज दंगा हो जाता है
और प्रार्थना स्थलों को ही
रक्तस्नान कराता है