अपने-अपने देवधर: एक समग्र आकलन 

01-11-2024

अपने-अपने देवधर: एक समग्र आकलन 

परिधि शर्मा (अंक: 264, नवम्बर प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

किताब: अपने अपने देवधर
प्रकाशक: बुक्स क्लिनिक
संपादक: बसंत राघव 
पृष्ठ: 322
मूल्य: ₹1000

बुक्स क्लिनिक द्वारा सद्यः प्रकाशित ग्रंथ ‘अपने-अपने देवधर’ हिंदी और छत्तीसगढ़ी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. देवधर महंत के बहुआयामी व्यक्तित्व एवं कृतित्व का तटस्थ भाव से किया गया एक सार्थक मूल्यांकन है। डॉ. देवधर महंत की रचनाधर्मिता की विस्तृत रूप से पड़ताल करने वाली इस महत्त्वपूर्ण कृति की प्रस्तुति का श्रेय संपादक बसंत राघव को जाता है। बसंत राघव एक अच्छे लेखक भी हैं जिन्हें लेखन की कला अपने पिता प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. बलदेव से विरासत में मिली है। 

इस संकलन में व्यक्तित्व खंड में डॉ. जगमोहन मिश्र, शिवशंकर पटनायक, डॉ. बलदेव, रमेश अनुपम, लक्ष्मीनारायण पयोधि, डॉ. महेन्द्र कुमार ठाकुर, डॉ. अजय पाठक, रामेश्वर वैष्णव, मीर अली ‘मीर’, रामेश्वर शर्मा, डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’, प्रो. बांकेबिहारी शुक्ल, प्रो. भूपेन्द्र पटेल, प्रो. राजकुमार राठौर, डॉ. सोमनाथ यादव, डॉ. मंतराम यादव, महेश श्रीवास, डॉ. जे.आर. सोनी, सरला शर्मा, डॉ. शालिनी श्रीवास्तव, शशि दुबे, संतोषी श्रद्धा, डॉ. वंदना जायसवाल के मार्मिक एवं हृदयस्पर्शी आलेख शामिल हैं वहीं संत बालक भगवान, डॉ. बलराम एवं राजेश चौहान की भावपूर्ण काव्यात्मक प्रस्तुति भी मौजूद है। 

कृतित्व खंड में डॉ. चित्तरंजन कर, डॉ. बिहारीलाल साहू, डॉ. विनयकुमार पाठक, डॉ. भागीरथ बड़ोले, श्रीकृष्ण कुमार त्रिवेदी, नर्मदाप्रसाद मिश्र ‘नरम’, डॉ. बलराम, डॉ. उमाकांत मिश्र, डॉ. सुधीर शर्मा, डॉ. हेमचंद्र पांडेय, डॉ. गंगाधर पटेल ‘पुष्कर’, रजत कृष्ण, रमेश शर्मा, तिलक पटेल, डुमनलाल ध्रुव, निर्मल आनंद, प्रमोद सोनवानी ‘पुष्प’, डॉ. अनिल भतपहरी, पोखनलाल जायसवाल, डॉ. साधना कसार, मंगला देवरस इत्यादि महत्त्वपूर्ण लेखकों की आलोचकीय दृष्टि से संपन्न आलेख भी ध्यान खींचते हैं। 

देवधर महंत के छत्तीसगढ़ी सृजन पर डॉ. विनयकुमार पाठक, डॉ. सालिकराम अग्रवाल, डॉ. फूलदास महंत, उमेश शर्मा, रामेश्वर शर्मा, निर्मल आनंद के सूक्ष्म अवलोकन आलेख के रूप में संयोजित हैं। 

साक्षात्कार खंड में दिनेश ठक्कर, ऋतु राघव और सृजन महंत द्वारा डॉ. देवधर महंत से लिए गए जीवंत साक्षात्कार का संग्रहण भी उल्लेखनीय है। 

बानगी के तौर पर डॉ. देवधर महंत की कहानी ‘मोड़ पर’ तथा कुछ गीत ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे इत्यादि भी पुनर्पाठ के रूप में पाठकों के लिए प्रस्तुत किये गए हैं जो एक अच्छा प्रयास है। डॉ. देवधर महंत के लेखकीय जीवन से जुड़ी सत्रवार यात्राएँ एवं उनके अविस्मरणीय काव्य पाठ संस्मरणों को भी ख़ूबसूरती से सिलसिलेवार किताब में जगह दी गयी है। 

इस कृति की एक और विशेषता है, डॉ. देवधर महंत को लिखे गए विभिन्न साहित्यकारों के उल्लेखनीय पत्रों का दुर्लभ संचयन। इस संचयन में छायावाद प्रवर्तक मुकुटधर पांडेय, डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन, कमलेश्वर, डॉ. धर्मवीर भारती, डॉ. हरदेव बाहरी, स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी, लतीफ़ घोंघी, सूर्यबाला, डॉ. कुंतल गोयल, इंदिरा राय, जया जादवानी, डॉ. स्नेह मोहनीश, स्वदेश दीपक, बालकवि बैरागी, भारत-भूषण, चंद्रसेन विराट, माणिक वर्मा, बलवीरसिंह 'करुण', द्वारिका प्रसाद तिवारी 'विप्र', श्यामलाल चतुर्वेदी, नारायण लाल परमार, डॉ. बलदेव, हरि ठाकुर, दानेश्वर शर्मा, प्रदीप चौबे, सुरेश उपाध्याय, विनीत चौहान, डॉ. विष्णु सक्सेना, प्रकाश प्रलय, रामप्रताप सिंह विमल, परितोष चक्रवर्ती, ओमप्रकाश वाल्मीकि, डॉ. शरण कुमार लिंबाले, विभु खरे, सतीश जायसवाल, कुमार प्रशांत, कृष्णकांत एकलव्य, डॉ. रमेशचन्द्र महरोत्रा, डॉ. बालेंदुशेखर तिवारी, डॉ. प्रेमशंकर, डॉ. गणेश खरे, डॉ. सुरेशचंद्र शुक्ल ‘चंद्र’, ललित सुरजन, रमेश नैयर, सोमदेव, डॉ. जगमोहन मिश्र, डॉ. चित्तरंजन कर, डॉ. हर्षवर्धन तिवारी, डॉ. अरुण कुमार सेन, डॉ. रामलाल कश्यप, श्रीकृष्ण कुमार त्रिवेदी, अशोक झा, नरेंद्र श्रीवास्तव, विद्याभूषण मिश्र, दानेश्वर शर्मा, रविशंकर शुक्ल, मुन्नीलाल कटकवार, डॉ. विमल कुमार पाठक, लक्ष्मण मस्तुरिया, रामेश्वर वैष्णव, मुकुंद कौशल, डॉ. अजय पाठक, गिरीश पंकज, विनोद साव, महेश अनघ, जहीर कुरैशी, बबन प्रसाद मिश्र, आलोक प्रकाश पुतुल, कमलेश भारतीय, कैलाश चंद्र पंत, डॉ. विष्णुसिंह ठाकुर, गजेन्द्र तिवारी, त्रिभुवन पांडेय, डॉ. महेंद्र कुमार ठाकुर, भास्कर चौधुरी, माया वर्मा, संतोष झांझी, डॉ. साधना कसार, डॉ. भारती खुबालकर, डॉ. किरण जैन, डॉ. दमयंती सिंह ठाकुर, मीना मंजुल, आशा झा प्रभृति के दुर्लभ पत्र शामिल हैं। किताब में पत्र साहित्य की प्रस्तुति के माध्यम से लेखक की भीतरी दुनिया तक पहुँचने का एक सुगम रास्ता पाठकों के हाथ लगता है। 

अंत में कतिपय महत्त्वपूर्ण एवं दुर्लभ छायाचित्र प्रदर्शित हैं। 

इस कृति के अवलोकन से डॉ. देवधर महंत के बारे में विस्तार से जानकारी मिलती है। डॉ. देवधर महंत 68 वसंत देख चुके हैं। पत्रकारिता, अध्यापन उसके उपरांत 35 वर्षों के राजस्व अधिकारी के रूप में सेवा का प्रदीर्घ अनुभव उनकी झोली में है। वे छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे। बहुत कम लोगों को पता होगा कि 19 अप्रैल 1977 को बिलासपुर में यूनिवर्सिटी की स्थापना तथा वेस्टर्न कोलफ़ील्ड्स लिमिटेड के मुख्यालय की माँग को लेकर जे.पी. की तर्ज़ पर मौन जुलूस निकालने का दुर्लभ कार्य भी महंत जी ने कर दिखाया था जिसकी जानकारी किताब के माध्यम से मिलती है। मज़दूर और किसान संगठनों से भी उनका जुड़ाव रहा है। नौकरी के दौरान कार्मिक तथा साहित्यिक एवं शैक्षणिक संगठनों में भी उनकी सक्रिय सहभागिता रही। एक दशक से अधिक समय तक अपने समाज के वे राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। अनेक शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में उन्होंने अपनी भूमिका भी निभाई। 

 जहाँ तक महंत जी की साहित्यिक यात्रा का प्रश्न है, इस ग्रंथ से ज्ञात होता है कि उनकी स्वरचित, संपादित 15 कृतियाँ प्रकाशित हुई हैं। उनकी पहली कृति छत्तीसगढ़ी गीत संग्रह ‘बेलपान’ 1974 में छपी। 2024 में बेलपान के प्रकाशन वर्ष की अर्द्धशती हो गई। उसी वर्ष 1974 में ही इन्होंने अंतर्देशीय पत्र में मिनी कविताओं की मासिकी “प्रेरणा” का प्रकाशन शुरू किया। उस समय महंत जी फ़र्स्ट ईयर के छात्र थे। वर्तमान में वार्षिकी “समन्वय” का संपादन भी वे कर रहे हैं। आकाशवाणी एवम दूरदर्शन से भी उनकी रचनाओं का प्रसारण होता रहा है। 

उनकी लंबी कालजयी छत्तीसगढ़ी कविता ‘अरपा नदिया’ पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के एम.ए‌. (छत्तीसगढ़ी) के पाठ्यक्रम में सम्मिलित है। 

अपने जीवन की दूसरी पारी में डॉ. महंत हाईकोर्ट में वकालत करते हुए “रिटायर्ड बट नाट टायर्ड” जैसी उक्ति को भी चरितार्थ कर रहे हैं। 

‘अपने-अपने देवधर’ अपने ढंग की एक अनूठी कृति है जिसमें किसी लेखक के रचनात्मक और सामाजिक जीवन को विभिन्न आयामों से देखने की कोशिश हुई है। इस कोशिश से बसंत राघव के संपादन कौशल का परिचय पाठकों को मिलता है। यह कृति साहित्य के अध्येताओं-शोधार्थियों के लिए आगे चलकर उपयोगी सिद्ध होगी। इस किताब से गुज़रना एक अच्छे अनुभव से गुज़रने जैसा अनुभव दे सकता है। लेखक और संपादक दोनों को बधाई। 

परिधि शर्मा
द्वारा: रमेश शर्मा
92 श्रीकुंज, बोईरदादर, रायगढ़ छत्तीसगढ़। 

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