आयी देखो दीपावाली
ओम प्रकाश श्रीवास्तव 'ओम'आयी देखो दीपावाली,
लेकर ख़ुशियों का भंडार।
घर घर में शुभ दीप जलेगा,
जगमग होगा घर संसार।
होली दीवाली जब आती,
करते सब जन सारा साज।
लीप पोत घर को चमकाते,
करते सब ही सुंदर काज।
तब चमके खिड़की दरवाज़ा,
चमके सारा ही घर द्वार।
आयी देखो दीपावाली,
लेकर ख़ुशियों का भंडार।
त्योहार हैं कितने सारे,
सबके अपने अपने मान।
सकल त्योहारों से बढ़ती,
भारत माता की नित शान।
देते त्यौहार सभी ख़िशियाँ,
बढ़ता जग में इनसे प्यार।
आयी देखो दीपावाली,
लेकर ख़ुशियों का भंडार।
कहे ओम कवि सारे जग से,
मदिरा से सब रहिए दूर।
जग व्यसन से रखिये दूरी,
मिलती ख़ुशी पर्व भरपूर।
व्यसन से ही बिगड़े देखो,
कितनों के ही घर संसार।
आयी देखो दीपावाली,
लेकर खुशियों का भंडार॥