आत्महत्या: कायरता 

15-07-2025

आत्महत्या: कायरता 

सिया पालीवाल  (अंक: 281, जुलाई द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

जब रोशनी धूमिल हो और अंधकार शिखर पर, 
तब ख़ुद में ख़ुद को खोजकर, लौट आना तुम। 
न इन अँधेरों में भयभीत हो कहीं खो जाना तुम॥
 
हों चीखतीं लहरें भी, दिखतीं हर तरफ़ हों उलझने, 
पतवार बन के हर लहर को चीर आना तुम। 
न इन लहरों में गुम होकर कहीं डूब जाना तुम॥
 
जब आसमान घिरे बादल से, दिखता एक सितारा
तो क्या वो छोड़ता चमकना और जगमगाना, 
तू उस सितारे से सीखना ओर चलते जाना
न राह में पथ भूलकर तू डगमगाना॥
 
ये आत्महत्या तो कायरता है, गहराई से सोचना तुम, 
तुम वीर हो, गंभीर हो ये सोच आगे बढ़ना तुम। 
 
ये ज़िन्दगी एक मर्म है और कर्म तेरा कर्म है, 
ये सोचकर हर परिस्थिति से लड़ जाना तुम 
न इन अँधेरों में भयभीत हो कहीं खो जाना तुम॥

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